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Economics->MBA->Analyst->Business aaahh... Looks like a damn CV. Let me try again. Foodie-Moviefreak-Travel & Photography enthusiast->and of course a Blogger.

Monday, October 4, 2010

बैठे थे एक रोज़ हम यूँ ही

बैठे थे एक शाम हम यूँ ही

कि सोचा हमने उस डूबते हुए सूरज को देखकर

क्यूँ लोग उदास हो जाते है कुदरत की इस खूबसूरती पर

आज भी उठ जाते है कुछ लोग गिर के, बार बार ज़मीन पर


बैठे थे एक रात हम यूँ ही

कि देखा हमने उस चाँद को

कितना ही रौशन कर दे वो उन गहरी रातों को

मगर नहीं भूल पाते लोग चरित्र पे लगे दाग को


बैठे थे एक सुबह हम यूँ ही

कि देखा उन पंछियो की उड़ान को

उड़ सकते है आप और हम भी, दूर गगन आसमान में

एक सच्चा मौका तो दो अपने आप को


बैठे थे एक रोज़ हम यूँ ही

कि, एक ख्याल आया हमारे दिल में

ना कोशिश की जिनके लिए, हमने कभी

आज करीब है दिल के सिर्फ वो कुछ लोग ही


बैठे है आज भी हम यूँ ही

अक्सर अपने खिड़कियो में , करते हुए इंतज़ार

कभी तो होगा सवेरा हमारी भी ज़िन्दगी में

कभी तो सच होंगे हमारे वो सपने भी


बैठते है हर रोज़ आज भी हम यूँ ही .

---श्रीराम